हिंदी कहानियां - भाग 22
| बस भर गई |
| बस भर गई | एक जजमान ने सत्यनारायण कथा कराई, उसके बाद पंडित जी को भोजन ग्रहण करने के लिए कहा . पंडित जी ने खाना शुरू किया और देखते- देखते जब रसोई में खाना लगभग आधा हो गया तो जजमान को चिंता हुई की लगता है आज भूखे ही रहना पड़ेगा, तो वो पंडित जी से बोले "पंडित जी भोजन के बीच में जल भी ग्रहण करे". पंडित जी बोले "जजमान, बीच तो आने दे ". जब रसोई में सारा खाना खत्म हो गया तो पंडित जी बोले "वाह जजमान मज़ा आ गया , बहुत ही स्वादिष्ट भोजन था , आज बस (पेट) भर गयी". जजमान बोले "अरे पंडित जी , अभी रसगुल्ला तो आप ने खाया ही नहीं ". पंडित जी बोले "अच्छा रसगुल्ला, ले आइये ". पंडित जी ने १०-१५ रसगुल्ले खा लिए, तो जजमान बोले "पंडित जी आप तो कह रहे थे की बस भर गयी, तो ये रसगुल्ला कैसे खा गए ". पंडित जी बोले "जजमान , कंडेक्टर (परिचालक ) वाली सीट खाली थी". जजमान बोले" महराज , रसमलाई भी है " . पंडित जी बोले "अरे पहले काहे नहीं बताये , अच्छा ले आइये ". पंडित जी १०-१२ रसमलाई भी खा गए तो जजमान बोले "महराज , बस भर गयी थी , कंडेक्टर वाली सीट भी भर गयी थी , तो ये रसमलाई कहाँ गयी ?" पंडित जी बोले "जजमान , चालक (ड्राईवर ) वाली जगह तो खाली बची थी ना ". जजमान बोले "महराज अभी लड्डू भी रह गए है ". पंडित जी बोले "जजमान, ठीक है वो भी ले आइये ". जजमान बोले "पंडित जी अब तो बस में सारी जगह भर गयी है , ड्राईवर - कंडेक्टर वाली जगह भी भर गयी है, अब कहाँ जगह बची है " . पंडित जी बोले "जजमान , बांध के दे दीजिये , बस के ऊपर सामान वाली जगह तो अभी खाली ही है ".